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सापेक्षिकता सिद्धांत क्या है? (What is the theory of relativity? by लेव लदांऊ (Lev Landau)

Book Information

Titleसापेक्षिकता सिद्धांत क्या है? (What is the theory of relativity?
Creatorलेव लदांऊ (Lev Landau), युरी रुमेर (Yuri Rumer)
Year1988
PPI400
Publisherमीर प्रकाशन, Mir Publishers
LanguageHindi / हिंदी
Mediatypetexts
Subjectphysics, relativity, भौतिकी, सापेक्षता, संदर्भ, प्रकाश
Collectionmir-titles, additional_collections
Uploadermirtitles
Identifier20221103_20221103_1057
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Description

अल्बर्ट आईंस्टाइन द्वारा सापेक्षिकता सिद्धांत का प्रतिपादन हुए अस्सी से ज्यादा वर्ष बीत चुके हैं। विगत अवधि में यह सिद्धांत, जो आरंभतः मात्र एक अंतर्विरोधी बौद्धिक खेल प्रतीत होता था, भौतिकी के एक आधार-स्तंभ में परिणत हो चुका है। बिना इस सिद्धांत के आधुनिक भौतिकी लगभग उसी तरह असंभव है, जैसे बिना अणु-परमाणु की अवधारणाओं के । अनगिनत भौतिकीय संवृत्तियां हैं जिनकी व्याख्या सापेक्षिकता सिद्धांत के बिना असंभव है। इसके आधार पर प्राथमिक" कणिकाओं के त्वरित्र जैसे जटिल उपकरण बन रहे हैं, नाभिकीय प्रतिक्रियाओं से संबंधित कलन संपन्न होते हैं आदि आदि ।यह खेद की बात है कि सापेक्षिकता सिद्धांत से विशेषज्ञों को छोड़ कर अन्य साधारण लोग बहुत कम परिचित हैं। इसकी गणना क्लिष्ट " सिद्धांतों में होती है और यह सही भी है। सामान्य व्यक्ति से, जो भौतिकविद् नहीं है, इसके जटिल गणितीय उपकरण को व्यवहार में लाने की अपेक्षा नहीं की जा सकती । फिर भी हमारी मान्यता है कि सापेक्षिकता सिद्धांत की मुख्य अवधारणाएं और उसके मुख्य विचारअविशेषज्ञों के लिये सुलभ शैली में व्यक्त किये जा सकते हैं।हमें आशा है कि इस पुस्तक को पढ़ने के बाद पाठक फिर कभी इस तरह नहीं सोचेगा : सापेक्षिकता सिद्धांत का अर्थ इतना ही है कि " दुनिया में सब कुछ सापेक्षिक है " । उल्टा, वह देखेगा कि भौतिकी के किसी भी अन्य सही सिद्धांत की भाँति यह सिद्धांत भी वस्तुगत सत्य को व्यक्त करता है, जो किसी की भी इच्छा या रुचि पर निर्भर नहीं करता । व्योम, काल और द्रव्यमान की पुरानी अवधारणाओं को त्याग कर हम और गहराई से समझने लगे हैं कि दुनिया वास्तविकता में कैसे बनी है ।अनुवादक कवंर सिंह