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Kundalini Shakti -Arun Kumar Sharma by John Doe

Book Information

TitleKundalini Shakti -Arun Kumar Sharma
PPI600
LanguageHindi / हिंदी
Mediatypetexts
SubjectPDF Book - kundalini yoga
Collectionbooksbylanguage_hindi, booksbylanguage
Uploaderhariom.vasant
IdentifierKundaliniShaktiArunKumarSharma
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Description

.★ ★ पूज्य संत श्री आशाराम बापू जी (sant shri Asaram Bapu  ji ) के श्री चरणों मे समर्पित हमारी कुछ Website व Blog..Web : http://www.mybapuji.com-----------------------------------------------------http://pyaresatguruji.blogspot.com/http://supracharsevasangh.blogspot.in/http://rishidarshan.blogspot.in/http://hariomcare.blogspot.in/http://rishisanskriti.blogspot.in/http://asharamjigroup.blogspot.com/http://sanskritigyan.blogspot.inhttp://sanatanworld.blogspot.in/http://hariomayurveda.blogspot.in▼ Follow Us : Youtube :  https://goo.gl/qE2jmU Facebook :  https://goo.gl/xA1VcHTwitter : https://goo.gl/thQhl3Google+  :   https://goo.gl/fzAgtDinstagram  : https://goo.gl/okKZ81pinterest  : https://goo.gl/fWWHUs    मेरे सदगुरूदेव पूज्यपाद सदगुरूदेव संत श्री आसारामजी महाराजकिसी भी देश की सच्ची संपत्ति संतजन ही होते है | ये जिस समय आविर्भूत होते हैं, उस समय के जन-समुदाय के लिए उनका जीवन ही सच्चा पथ-प्रदर्शक होता है | एक प्रसिद्ध संत तो यहाँ तक कहते हैं कि भगवान के दर्शन से भी अधिक लाभ भगवान के चरित्र सुनने से मिलता है और भगवान के चरित्र सुनने से भी ज्यादा लाभ सच्चे संतों के जीवन-चरित्र पढ़ने-सुनने से मिलता है | वस्तुतः विश्व के कल्याण के लिए जिस समय जिस धर्म की आवश्यकता होती है, उसका आदर्श उपस्थित करने के लिए भगवान ही तत्कालीन संतों के रूप में नित्य-अवतार लेकर आविर्भूत होते है | वर्तमान युग में यह दैवी कार्य जिन संतों द्वारा हो रहा है, उनमें एक लोकलाडीले संत हैं अमदावाद के श्रोत्रिय, ब्रह्मनिष्ठ योगीराज पूज्यपाद संत श्री आसारामजी महाराज |महाराजश्री इतनी ऊँचायी पर अवस्थित हैं कि शब्द उन्हें बाँध नहीं सकते| जैसे विश्वरूपदर्शन मानव-चक्षु से नहीं हो सकता, उसके लिए दिव्य-द्रष्टि चाहिये और जैसे विराट को नापने के लिये वामन का नाप बौना पड़ जाता है वैसे ही पूज्यश्री के विषय में कुछ भी लिखना मध्यान्ह्य के देदीप्यमान सूर्य को दीया दिखाने जैसा ही होगा | फ़िर भी अंतर में श्रद्धा, प्रेम व साहस जुटाकर गुह्य ब्रह्मविद्या के इन मूर्तिमंत स्वरूप की जीवन-झाँकी प्रस्तुत करने का हम एक विनम्र प्रयास कर रहे हैं |1. जन्म परिचयसंत श्री आसारामजी महाराज का जन्म सिंध प्रान्त के नवाबशाह जिले में सिंधु नदी के तट पर बसे बेराणी गाँव में नगरसेठ श्री थाऊमलजी सिरूमलानी के घर दिनांक 17 अप्रैल 1941 तदनुसार विक्रम संवत 1998को चैत्रवद षष्ठी के दिन हुआ था | आपश्री की पुजनीया माताजी का नाम महँगीबा हैं | उस समय नामकरण संस्कार के दौरान आपका नाम आसुमल रखा गया था |2. भविष्यवेत्ताओं की घोषणाएँ :बाल्याअवस्था से ही आपश्री के चेहरे पर विलक्षण कांति तथा नेत्रों में एक अदभुत तेज था | आपकी विलक्षण क्रियाओं को देखकर अनेक लोगों तथा भविष्यवक्ताओं ने यह भविष्यवाणी की थी कि ‘यह बालक पूर्व का अवश्य ही कोई सिद्ध योगीपुरुष हैं, जो अपना अधूरा कार्य पूरा करने के लिए ही अवतरित हुआ है | निश्चित ही यह एक अत्यधिक महान संत बनेगा…’ और आज अक्षरशः वही भविष्यवाणी सत्य सिद्ध हो रही हैं |सम्पूर्ण जीवनी -   DOWNLOADदादागुरु स्वामी श्रीलीलाशाहजी महाराज जीवनी - DOWNLOAD